
स्लीप एपनिया एक गंभीर नींद विकार है जिसमें बार-बार सांस रुक जाती है.
स्लीप एपनिया (Sleep Apnoea) एक गंभीर नींद विकार है, जिसमें बार-बार सांस रुक जाती है. शोध में दावा किया गया है कि अगर आपको स्लीप एपनिया है, तो आगे जाकर अल्जाइमर (Alzheimer’s Disease) होगा. अगर आपको अल्जाइमर है, तो आपको स्लीप एपनिया हो सकता है.
ये भी पढ़ें – साल में एक बार रक्तदान करना सेहत के लिए अच्छा है, जानिए कैसे
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) एक ऐसी मेडिकल परिस्थिति है, जो एक व्यक्ति के सोने के समय सांस में तकलीफ के दौरान होती है. विश्व में 936 मिलियन लोगों में और उनमें से तीस फीसदी ज्यादा उम्र के लोगों में यह देखने को मिलती है. अल्जाइमर डेमेंटिया की कॉमन फॉर्म है जिससे 70 फीसदी तक लोग प्रभावित होते हैं. शोध के लीड इन्वेस्टिगेटर प्रोफ़ेसर स्टीफन रॉबिन्सन ने कहा कि हम जानते हैं कि अगर आपको उम्र के बीच में स्लीप एपनिया होता है, तो आगे जाकर अल्जाइमर होगा. अगर आपको अल्जाइमर है, तो आपको स्लीप एपनिया हो सकता है. वह कहते हैं कि बीमारी के कारणों और जैविक तंत्र का पता लगाना एक बड़ी चुनौती है.
रॉबिन्सन ने अनुसंधान को स्थितियों के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी कहा और अल्जाइमर रोग के इलाज और रोकथाम के लिए प्रभावी उपचार विकसित करने पर काम कर रहे शोधकर्ताओं के लिए नई दिशाएं खोलीं. अनुसंधान ने स्लीप एपनिया की गंभीरता की ओर भी इशारा किया था, जो कि अमाइलॉइड टुकड़े के एक संबंधित बिल्ड-अप से जुड़ा था. रिसर्च में यह भी पाया गया कि मध्यम से गंभीर स्लीप एपनिया के लिए लगातार सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (CPAP) के साथ उपचार से दिमाग में पाए जाने वाले सजीले टुकड़े की मात्रा पर कोई फर्क नहीं पड़ा.ये भी पढ़ें – कोरोना वायरस से पड़ रहा पुरुषों के सेक्स हॉर्मोन्स पर असर, जानिए कैसे
उन्होंने स्टडी में 34 लोगों के हिप्पोकैम्पस से अल्जाइमर जैसे संकेतक की जांच की और ओएसए के साथ 24 लोगों के दिमाग की जांच की. हिप्पोकैम्पस मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो याददाश्त से जुड़ा होता है. वैज्ञानिकों ने दोनों अमाइलॉइड टुकड़े और न्यूरोफाइब्रिलरी टेंगल्स की खोज की, जो अल्जाइमर रोग का एक और संकेतक है.
! function(f, b, e, v, n, t, s) { if (f.fbq) return; n = f.fbq = function() { n.callMethod ? n.callMethod.apply(n, arguments) : n.queue.push(arguments) }; if (!f._fbq) f._fbq = n; n.push = n; n.loaded = !0; n.version = ‘2.0’; n.queue = []; t = b.createElement(e); t.async = !0; t.src = v; s = b.getElementsByTagName(e)[0]; s.parentNode.insertBefore(t, s) }(window, document, ‘script’, ‘https://connect.facebook.net/en_US/fbevents.js’); fbq(‘init’, ‘482038382136514’); fbq(‘track’, ‘PageView’);