
इंडोनेशिया की एक स्थानीय जनजाति के कई लोगों की आंखें एक बीमारी के चलते, चमकती नीली हो गई हैं (फोटो- इंडोनेशइयाई फोटोग्राफर कोरचनोई पसारीबू Instagram)
इंडोनेशिया (Indonesia) की एक स्थानीय जनजाति (Indigenous Tribe) के कुछ सदस्यों की चमकती हुई नीली (Shining Blue Eyes) आंखें भी हैं. लेकिन यह उनके लिए किसी खुशी की बात नहीं बल्कि दर्द का सबब है.
- News18Hindi
- Last Updated:
October 10, 2020, 7:54 PM IST
माना जाता है कि यह रोग हर 42,000 लगभग 1 इंसान को ही होता है. वॉर्डनबर्ग सिंड्रोम से सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है और विशिष्ट शारीरिक अंगों के रंग (pigmentation) में कमी हो जाती है. जैसे आंखें चमकदार नीली (या एक नीली आंख और एक काली/ भूरी आंख) हो सकती हैं. यह कई जीनों (genes) में बदलाव के कारण होता है जो भ्रूण के विकास में तंत्रिका शिखा कोशिकाओं के संचालन को प्रभावित करता है. वॉर्डनबर्ग सिंड्रोम का प्रभाव विशेष रूप से जातीय समूहों में देखा जा सकता है, जिनमें नीली आंखें जैसी विशेषता बहुत दुर्लभ है, जैसा कि आप इंडोनेशियाई भूविज्ञानी (Indonesian geologist) और शौकिया फोटोग्राफी करने वाले कोरचनोई पसारीबू की ली गई बुटन जनजाति के सदस्यों की तस्वीरों में देख सकते हैं.
बूटन द्वीप, जो इंडोनेशिया के सुलावेसी क्षेत्र में स्थित है, बूटन जनजाति के लोगों का घर है. जिनमें से कुछ वेर्डनबर्ग सिंड्रोम से पीड़ित हैं और इनकी आंखें (एक या दोनों) बेहद चमकीले नीले रंग की हो चुकी हैं.
कोरचनोई पसारीबू ने पिछले महीने बूटन द्वीप का दौरा किया और आश्चर्यजनक रूप से चमकीली नीली आंखों पर फोकस करते हुए जनजातीय लोगों की कुछ तस्वीरें लीं. ये तस्वीरें उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट की हैं, अब ये तस्वीरें वायरल हो रही हैं. सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर साझा किया जा रहा है.
बूटेन आदिवासियों में होने वाला यह रोग बताता है कि सुंदरता की प्रतीक बेहद खूबसूरत आंखें भी किसी के लिए जीवन भर का दर्द हो सकती हैं. इसने इन आदिवासियों का बुरा हाल कर दिया है.