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एक दिन पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
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कहानी – महाभारत में कुंती अपने पांच पुत्रों के साथ वन में रह रही थीं, क्योंकि धृतराष्ट्र नहीं चाहते थे कि पांडु के पुत्रों को राज्य मिले। धृतराष्ट्र का पुत्र दुर्योधन अधर्मी था। वह हमेशा ही पांडव पुत्रों को परेशान करता था।
कुंती के पति पांडु श्राप की वजह से मर चुके थे। पांडु की दूसरी पत्नी माद्री की भी मृत्यु हो गई थी। तीन पुत्र कुंती के और दो पुत्र माद्री के थे। सभी पांचों पुत्रों का पालन कुंती अकेले कर रही थीं।
कुंती जानती थीं, जंगल में कोई सुख-सुविधा तो मिलेगी नहीं, इसलिए कुंती ने पांचों बच्चों का पालन ऐसे किया कि वे धर्म का प्रतीक बन गए। महाभारत युद्ध में जब श्रीकृष्ण को ये निर्णय लेना था कि किसके पक्ष में रहेंगे, तब उन्होंने धर्म मार्ग पर चल रहे पांडव पुत्रों को चुना।
राजा धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र थे। सभी पुत्रों को सुख-सुविधा की हर एक चीज मिली थी, लेकिन राजा और रानी ने अपनी संतानों को अच्छे संस्कार नहीं दिए। इस कारण सभी अधर्मी हो गए। संतान के मोह में धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को सही-गलत का फर्क नहीं समझाया। इस एक गलती की वजह से पूरा कौरव वंश नष्ट हो गया।
सीख – कुंती ने पांचों पुत्रों का पालन अभावों में किया, लेकिन अच्छे संस्कार दिए। धर्म क्या है, ये समझाया। इसी वजह से सभी पांडव श्रीकृष्ण के प्रिय बन गए। हमें भी बच्चों को सुख-सुविधा के साथ ही अच्छे संस्कार भी देना चाहिए। तभी उनका भविष्य अच्छा बन सकता है। अगर बच्चों के पालन-पोषण में लापरवाही की गई तो उनका पूरा जीवन खराब हो सकता है।