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- Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Motivational Story Of Mahatma Gandhi, Lord Krishna Lesson, Prerak Katha
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एक दिन पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
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कहानी – महात्मा गांधी से जुड़ा किस्सा है। एक दिन उनके पास एक लड़का आया और बोला, ‘गांधीजी मैं भी देश की सेवा करना चाहता हूं। मैंने बहुत लोगों से सुना है, देश सेवा के लिए आपसे अच्छा माध्यम कोई और नहीं हो सकता है। कृपया मुझे भी अपने साथ काम करने का अवसर दीजिए।’
गांधीजी कभी खाली नहीं बैठते थे। उन्होंने उस लड़के को देखा और बोले, ‘ठीक है। अभी मैं चरखा चला रहा हूं। तुम ये सूत इकट्ठा कर दो।’ उस लड़के ने ये काम कर दिया।
वहां कुछ बर्तन भी रखे हुए थे। गांधीजी ने लड़के से कहा, ‘ये बर्तन भी साफ कर दो।’ कुछ देर बाद गांधीजी ने आश्रम में झाड़ू लगाने का काम दे दिया।
इस तरह गांधीजी उस लड़के से छोटे-छोटे काम करवा रहे थे। ये सभी काम उस लड़के की नजर में सही नहीं थे, लेकिन वह अनमने मन से कर रहा था। तीन-चार दिन बाद लड़के ने गांधीजी से क्षमा मांगी और बोला, ‘मैं अब जा रहा हूं। मुझे आगे क्या करना है, इसका विचार करूंगा।’
गांधीजी ने उससे पूछा, ‘तुम जा क्यों रहे हो?’
लड़का बोला, ‘मैं पढ़ा-लिखा हूं। अच्छे परिवार से हूं। ये काम मेरे लिए सही नहीं हैं, जो आप मुझसे करवा रहे हैं।’
गांधीजी बोले, ‘मैं तुम्हारी यही परीक्षा लेना चाहता था। जिन लोगों को देश सेवा करनी है, वे लोग ये नहीं देखते हैं कि काम छोटा है या बड़ा है। वे सिर्फ सेवा के भाव से काम करते हैं।’
गांधीजी को श्रीमद् भगवद् गीता बहुत पसंद थी। वे कहा करते थे, ‘गीता कहने वाले श्रीकृष्ण बहुत महान और ज्ञानी थे। श्रीकृष्ण छोटे से छोटा काम भी बहुत प्रसन्न होकर करते थे। युधिष्ठिर जब चक्रवर्ती सम्राट बने, तब श्रीकृष्ण ने उनके यहां लोगों के जूठे दोने-पत्तल उठाए थे। महाभारत युद्ध में वे अर्जुन के सारथी बने। जो व्यक्ति हर छोटा काम सेवा मानकर करता है, वही गीता का ज्ञान दे सकता है।’
सीख- सेवा करने वाले लोगों को छोटे और बड़े काम में फर्क नहीं करना चाहिए।