- Hindi News
- National
- Uttarakhand Chamoli Glacier Burst Latest Update; 136 Missing To Be Declared Dead By Government
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
नई दिल्ली4 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

ग्लेशियर टूटने से पहले और बाद की ये सैटेलाइट इमेज है। इसमें ग्लेशियर टूटने से पहले पूरा पहाड़ बर्फ से ढंका दिखाई दे रहा है और ग्लेशियर टूटने के बाद काफी हिस्सा काला हो जाता है।
उत्तराखंड आपदा का मंगलवार को 17वां दिन है। अब तक 70 लोगों के शव और 29 मानव अंग मिल चुके हैं। 136 लोग लापता हैं। अब राज्य सरकार इन सभी लापता लोगों को मृत घोषित करने की तैयारी में है। जल्द ही इसके लिए आदेश जारी कर दिया जाएगा। ऐसा होता है तो इस आपदा में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 206 हो सकती है।
राज्य सरकार के मुताबिक चमोली और आस-पास के इलाकों में लगातार तलाश जारी है। बड़ी संख्या में लोगों के शव बरामद हुए हैं, जबकि कुछ लोगों को सुरक्षित भी निकाला गया। इसके बावजूद अभी तक जिन लोगों की कोई जानकारी नहीं मिल रही है, उन्हें अब मृत घोषित कर दिया जाएगा।
ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील का मुंह चौड़ा किया गया
चमोली में रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी के ऊपर ग्लेशियर टूटने से बनी आर्टिफिशियल झील से अभी भी बड़ा खतरा बना हुआ है। झील का मुंह छोटा होने के चलते पानी का बहाव काफी धीमी गति से हो रहा था। इसके चलते झील टूटने का खतरा बन गया था। ITBP के जवानों ने झील के मुंह को करीब 15 फीट चौड़ा कर दिया है। यहां पानी के जमाव के चलते दबाव बनने लगा था। राज्य आपदा रिस्पॉन्स टीम (SDRF) के कमांडेंट नवनीत भुल्लर का कहना है कि अभी झील के मुंह को और चौड़ा करने का काम चल रहा है।

ITBP और SDRF की टीमों ने झील पर लगातार नजर बनाए रखी है।
झील में करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी है
ऋषि गंगा के ऊपर ग्लेशियर टूटने से बनी आर्टिफिशियल झील का इंडियन नेवी, एयरफोर्स और एक्सपर्ट की टीम ने मुआयना भी किया। डाइवर्स ने झील की गहराई मापी है। इस झील में करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, ये झील करीब 750 मीटर लंबी है और आगे बढ़कर संकरी हो गई है। इसकी गहराई आठ मीटर है। नेवी के डाइवर्स ने हाथ में इको साउंडर लेकर इस झील की गहराई मापी। अगर ये झील टूटती है तो काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक ये झील केदारनाथ के चौराबाड़ी जैसी है। 2013 में केदारनाथ के ऊपरी हिस्से में 250 मीटर लंबी, 150 मीटर चौड़ी और करीब 20 मीटर गहरी झील के टूटने से आपदा आ गई थी। इस झील से प्रति सेकंड करीब 17 हजार लीटर पानी निकला था।
सेंसर भी लगाया
इस झील में होने वाली सारी हलचल पर नजर रखने के लिए विशेषज्ञों की टीम लगाई गई है। इसके अलावा ऋषिगंगा नदी में सेंसर भी लगाया गया है, जिससे नदी का जलस्तर बढ़ते ही अलार्म बज जाएगा। SDRF ने कम्युनिकेशन के लिए यहां एक डिवाइस भी लगाई है।
क्या हुआ था?
चमोली के तपोवन इलाके में रविवार 7 फरवरी की सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया। इससे नदी का जलस्तर बढ़ गया। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है। जैसे ही ऋषिगंगा का पानी धौलीगंगा में मिला, रफ्तार के साथ जलस्तर भी बढ़ गया। नदियों के किनारे बसे घर बह गए।
ऋषिगंगा नदी के किनारे स्थित रैणी गांव में बना ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट तबाह हो गया। यहीं पर जोशीमठ मलारिया हाईवे पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का बनाया ब्रिज भी टूट गया। ऋषिगंगा का पानी जहां धौलीगंगा से मिलता है, वहां भी जलस्तर बढ़ गया। पानी NTPC प्रोजेक्ट में घुस गया। इस वजह से गांव को जोड़ने वाले दो झूला ब्रिज बह गए। इसमें 205 लोगों के लापता होने का मामला दर्ज हो चुका है।