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19 घंटे पहले
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सोमवार, 15 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। इसे वरद चतुर्थी और तिलकुंद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। अभी माघ महीने की गुप्त नवरात्रि भी चल रही है। और, सोमवार को चतुर्थी होने से ये दिन देवी मां, शिवजी और गणेश पूजन के लिए बहुत शुभ योग बन रहा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार चतुर्थी पर गणेशजी के लिए व्रत किया जाता है। गुप्त नवरात्रि में सोमवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेशजी और शिवजी के साथ ही देवी मां की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। गणेशजी चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं और सोमवार को शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व है। जानिए इस शुभ योग में कैसे कर सकते हैं पूजा-पाठ…
गणेशजी मंत्र का करें जाप
चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले गणेश पूजा करें। गणेश प्रतिमा पर सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, नैवेद्य अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
श्री गणेशाय नम:, ऊँ गं गणपतयै नम: या वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदा, मंत्र का जाप करें।
शिवजी और देवी मां की पूजा करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। हार-फूल, वस्त्र, बिल्व पत्र, धतूरा आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। देवी मां को सुहाग का सामान जैसे सिंदूर, चूड़ी, लाल चुनरी आदि चीजें चढ़ाएं। शिव मंत्र ऊँ नम: शिवाय और देवी मंत्र दुं दुर्गाय नम: का जाप कम से कम 108 बार करें।
भगवान चंदन से तिलक लगाएं। भोग लगाएं। धूप-दीपक जलाकर आरती करें। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को अनाज और फलों का दान करें।
जो लोग चतुर्थी पर व्रत करते हैं, उन्हें इस दिन निराहार रहना चाहिए यानी अन्न ग्रहण न करें। इस दिन फलाहार कर सकते हैं। दूध और फलों के रस का सेवन किया जा सकता है। पूजा पूरी होने के बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरीत करें। भगवान से पूजा में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।