
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस (तस्वीर- News18.com)
Coronavirus: कुछ शोधकर्ताओं ने तर्क दिया है कि आर्थिक रूप से विनाशाकरी लॉकडाउन लगाने की जगह हर्ड इम्यूनिटी को तवज्जो दी जानी चाहिए. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एधनॉम गेब्रियेसस ने इसे बेईमानी करार दिया है.
- News18Hindi
- Last Updated:
October 13, 2020, 9:35 AM IST
गेब्रियेसस ने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी लोगों को वायरस से बचाने के लिए हासिल की जाती है, न कि उन्हें एक्सपोज करने के लिए. कुछ शोधकर्ताओं ने तर्क दिया है कि आर्थिक रूप से विनाशाकरी लॉकडाउन लगाने की जगह हर्ड इम्यूनिटी को तवज्जो दी जानी चाहिए. महामारी को रोकने का यह एक व्यावहारिक तरीका है. टेड्रोस ने कहा कि कभी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य के इतिहास में हर्ड इम्यूनिटी का इस्तेमाल महामारी का मुकाबला करने की रणनीति के रूप में नहीं किया गया है.
गेब्रियेसस ने कहा कि अगर हर्ड इम्यूनिटी हासिल भी हो जाती है तो भी हमें कोविड-19 की इम्यूनिटी के बारे में बहुत कम पता है. उन्होंने कहा हमारे पास कुछ तथ्य हैं, लेकिन हमारे पास पूरी तस्वीर नहीं है. टेड्रोस ने कहा कि अधिकांश लोग किसी प्रकार की इम्यून रिसपॉन्स विकसित करते दिख रहे हैं, यह स्पष्ट नहीं है कि यह इम्यूनिटी कितने लंबे समय तक चलती है या कितनी मजबूत है. अलग-अलग लोगों पर इसका अलग असर है.
गेब्रियेसस ने कहा कि ‘जिस वायरस के बारे में हम ज्यादा नहीं जानते उसे इस तरह खुले में छोड़ देना अनैतिक है.’ डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि आबादी के 10% से कम के पास कोरोना से किसी किस्म की इम्यूनिटी है. इसका मतलब है कि बाकी दुनिया अब भी संदेहास्पद है.