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11 घंटे पहले
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- सरस्वती की पूजा करने से विद्या मिलती है और विद्या से धन-संपत्ति से जुड़ी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं
मंगलवार, 16 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी है, इस तिथि पर वसंत पंचमी मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस तिथि को वागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार वसंत पंचमी से नई विद्या सीखने की या नए कोर्स की शुरुआत करनी चाहिए। इस तिथि पर सरस्वती देवी के साथ ही वीणा की पूजा करनी चाहिए।
अगर आप कोई नए विद्या सीखना चाहते हैं तो मंगलवार से उसकी शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी तैयारियां अभी से कर लें, ताकि मंगलवार से विद्या की शुरुआत की जा सके। विद्या सीखने की शुरुआत करने से पहले देवी सरस्वती की विशेष पूजा जरूर करें। माता की कृपा से विद्या या कोर्स जल्दी पूरा हो सकता है।
देवी आद्यशक्ति के पांच स्वरूपों में से एक हैं सरस्वती
पं. शर्मा के मुताबिक जब ब्रह्माजी ने जब इस सृष्टि की रचना की, तब देवी मां यानी आद्यशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में बांटा था। ये पांच भाग यानी स्वरूप हैं राधा, पद्मा, सावित्रि, दुर्गा और सरस्वती। ये दैवीय शक्तियां भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुई थीं। उस समय भगवान के कंठ से प्रकट होने वाली देवी ही सरस्वती मानी जाती हैं। भगवती सरस्वती सत्वगुण हैं। सरस्वती के अनेक नाम हैं। इन्हें वाक, वाणी, गिरा, भाषा, शारदा, वाचा, धीश्वरी, वाग्देवी आदि नामों से जाना जाता है।
विद्या है सर्वश्रेष्ठ धन
देवी सरस्वती विद्या की देवी है और विद्या को सभी प्रकार के धनों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। विद्या से ही सभी तरह की सुख-सुविधा और धन-संपत्ति प्राप्त की जा सकती है। जिस व्यक्ति पर देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं, उसे महालक्ष्मी की भी प्रसन्नता मिल जाती है। इसीलिए सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं और धन की प्राप्ति विद्या प्राप्त करने के बाद ही होती है।
महालक्ष्मी के साथ ही देवी सरस्वती की भी पूजा इसीलिए की जाती है। सरस्वती के बिना लक्ष्मी की कृपा नहीं मिल पाती है। विद्या का उपयोग करके सही रास्ते से जो धन कमाया जाता है, वह धन सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करता है। ऐसा धन ही हमारे टिकता भी है।