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- In The Style Of Gujarat, The BJP Fitted The Micro Management Of The Organization In West Bengal In This Way.
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अहमदाबाद17 मिनट पहलेलेखक: धैवत त्रिवेदी
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- गुजरात भाजपा के महामंत्री भीखूभाई दलसाणिया की टीम प.बंगाल के कार्यकर्ताओं को माइक्रो मैनेजमेंट सिखा रही है
- विधानसभा चुनाव के लिए ‘मिशन 200’ पार करने के लिए भाजपा ने 6 महीने पहले ही सारी ताकत झोंक दी
हरेक चुनावों को गंभीरता से लेने वाली भाजपा ने पश्चिम बंगाल में सत्ता पाने के लिए वहां अपनी रणनीति को काफी समय पहले से ही अमल में लाना शुरू कर दिया था। असल बात तो यह है कि भाजपा ने बंगाल में वही फॉर्मूला लागू किया, जिसे गुजरात में साबित किया जा चुका है। फॉर्मूले को बंगाल में ठीक तरह से लागू करने की जिम्मेदारी गुजरात प्रदेश भाजपा के महामंत्री भीखूभाई दलसाणिया को चुनावी मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इन प्रयोगों ने भाजपा को गुजरात में अजेय बनाया
गुजरात शुरुआत से ही भाजपा संगठन के लिए प्रयोग की लैबोरेटरी रहा है। करीब तीन दशकों से गुजरात को अपना गढ़ बनाने वाली भाजपा ने हर चुनाव में ये प्रयोग किए हैं। अब यही फॉर्मूला का पूरे देश में लाया जा रहा है। गुजरात में इस प्रयोग की शुरुआत 1985 से हुई थी।

(बाएं से) नरेंद्र मोदी, काशीराम राणा, केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला (फाइल फोटो)। इन्होंने ही गुजरात में भाजपा के संगठन का खास मॉडल खड़ा किया था।
ये है गुजरात मॉडल
- गुजरात में भाजपा ने सबसे पहले शहरी इलाकों पर ध्यान केंद्रित किया। इसकी जिम्मेदारी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को दी गई। इसके लिए भाजपा ने 1985 में कुख्यात अपराधी लतीफ के खिलाफ लोगों की नाराजगी को केंद्र में रखकर कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति को मुद्दा बनाया था।
- इसमें सफल होने के बाद भाजपा ने राज्य स्तर पर प्रयोग शुरू किया। गुजरात के भौगोलिक विस्तार के मुताबिक 5 जोन पर टारगेट किया। सौराष्ट्र-कच्छ, अहमदाबाद, उत्तर गुजरात, मध्य गुजरात और दक्षिण गुजरात के लिए अलग-अलग टीमें बनाईं। वहां के स्थानीय मसलों को चुनावी मुद्दा बनाया।
- हरेक जोन में पहुंचने के लिए वहीं के स्थानीय नेता या प्रभावी लोगों को टीम में शामिल किया। तहसील स्तर तक पर उन्हें प्रभारी बनाकर संगठन को मजबूत करना शुरू किया।
- इस तरह भाजपा ने अपना प्रसार गुजरात के शहरी इलाकों से होते हुए छोटे-छोटे गांवों तक कर लिया और इसी माइक्रो मैनेजमेंट ने पार्टी को मजबूत बनाया।

बंगाल में भी बूथ लेवल पर भाजपा को मजबूत किया गया है। (प्रतीकात्मक फोटो)
अब टारगेट पर बंगाल
2014 से ही भाजपा की बंगाल पर नजर रही है। शुरुआत में तो यहां खास सफलता नहीं मिली, लेकिन भाजपा ने अपने माइक्रो मैनेजमेंट को कमजोर नहीं होने दिया और इसी के चलते आज बंगाल में भी भाजपा का जनाधार बढ़ता नजर आ रहा है। 2014 में लोकसभा चुनाव के दौर में मोदी लहर थी, लेकिन इसके बावजूद भाजपा बंगाल में सिर्फ 2 ही सीटें जीत सकी थी। इसके बाद अमित शाह की नेतृत्व में भाजपा ने बंगाल पर फोकस किया। 2016 के विधानसभा चुनावों पार्टी को 10.16% वोट मिले, पर भाजपा के 3 ही उम्मीदवार जीते।
भाजपा की कोशिशें जारी रहीं और इसी का नतीजा रहा कि पार्टी ने 2019 में लोकसभा की 18 सीटें अपने खाते में दर्ज करा लीं। इस चुनाव में भाजपा को 2.30 करोड़ वोट मिले थे, जो तृणमूल से सिर्फ 17 लाख ही कम थे। अब 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का जबर्दस्त जनाधार दिख रहा है।
ऐसे रचा चक्रव्यूह
- भाजपा ने बंगाल को 5 जोन यानी राढ बंग, नवद्वीप, कोलकाता, मेदिनीपुर और उत्तर बंगाल में बांटा है। बंगालियों के अलावा, उत्तर भारतीय, बिहारी और मुस्लिम आबादी और उनके मुद्दों पर फोकस किया है।
- हरेक जोन की जिम्मेदारी अलग-अलग महामंत्रियों को सौंपी गई है। गुजरात के प्रदेश भाजपा महामंत्री भीखूभाई दलसाणिया को नवद्वीप जोन में संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- इसके लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री के समकक्ष नेता को प्रभारी बनाया गया है। दलसाणिया जिस जोन में संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, उस जोन में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री विनोद तावडे प्रभारी हैं।
- महामंत्री का काम बूथ लेवल पर माइक्रो मैनेजमेंट के लिए कार्यकर्ताओं को तैयार करना है। जबकि प्रभारी को अपने जोन के स्थानीय मुद्दों, जाति का समीकरण समझना और उम्मीदवारी दर्ज कराने वाले दावेदारों की वर्तमान स्थिति और उसके असर की समीक्षा करना है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह दोनों बंगाल में खासे एक्टिव हैं। -फाइल फोटो।
नड्डा-शाह की लगातार मॉनिटरिंग
पार्टी के निर्देश पर सभी महामंत्रियों को हर हफ्ते अपने काम का प्रेजेंटेशन भी तैयार करना है। उन्हें यह बताना है कि अपने जोन में वे कहां तक पहुंचे, कितने स्थानीय लोगों को अपने पक्ष में तैयार किया, कितने कार्यकर्ताओं को परीक्षण दिया गया। इसके साथ ही बूथ लेवल के बड़े से लेकर छोटे-छोटे मुद्दे क्या हैं।
इसके साथ ही तय किया गया है कि हर महीने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह बंगाल के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे सभी जोन के महामंत्री, प्रभारियों से मुलाकात कर चुनावी तैयारी की समीक्षा करेंगे। पार्टी की यह तगड़ी कवायद नवंबर महीने से ही शुरू हो गई थी, जो मई तक जारी रहेगी।