मद्रास (चेन्नई) में स्नातक की पढ़ाई: उन्होंने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. वर्ष1969 में इन्हें भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश मिला और उन्हें Satellite Launch Vehicles का project director बना दिया गया. प्रोजेक्ट सफल रहा और भारत ने पृथ्वी की कक्षा में रोहिणी उपग्रह भेजने में सफलता प्राप्त की. भारत को बैलेस्टिक मिसाइल टेक्नोलोजी में बनाया आत्मनिर्भर: भारत को बैलेस्टिक मिसाइल और लॉन्चिंग टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाने के कारण ही डॉ. कलाम को मिसाइलमैन कहा जाता हैं. वर्ष 1982 में इन्हें डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री का डायरेक्टर बनाया गया. इसके बाद इन्होनें भारत के लिए पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग, ब्रह्मोस समेत कई मिसाइल बनाईं. देश की पहली मिसाइल इन्हीं की देख रेख में ही बनी हैं.