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एक घंटा पहले
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- अमावस्या पर शनि का स्वराशि में होना शुभ संयोग, इस दिन किए गए दान से कम होता है शनि का अशुभ असर
माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन प्रयाग या अन्य तीर्थों में स्नान का महत्व है। विद्वानों का कहना है कि महामारी के चलते इस दिन घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से गंगा स्नान का पुण्य मिल जाता है। ग्रंथों में कहा गया है कि मौनी अमावस्या पर पानी में तिल मिलाकर नहाने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। इस दिन तिल के साथ पितरों का तर्पण करने से पितृ तृप्त होते हैं। साथ ही इस पर्व पर तिल के साथ शनि देव की पूजा करने से शनि दोष भी बहुत हद तक कम हो जाता है।
पितरों के लिए क्या करें
1. सुबह जल्दी उठकर नहा लें इसके बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें। पानी में कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें। इसके बाद तिल के तेल का दीपक लगाएं और श्राद्धा के मुताबिक पीपल के पेड़ की 3, 5 या 11 परिक्रमा करें।
2. दोपहर में श्राद्ध कर सकते हैं। इसमें तीन कर्म होते हैं। तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन। श्रद्धा अनुसार तीनों या तीनों में से कोई एक कर्म भी किया जा सकता है। लेकिन हर कर्म में तिल का इस्तेमाल जरूरी है। तर्पण में तिल मिलाकर अंजली छोड़ें। पिंडदान के लिए पिंड पर भी तिल रखें। ब्राह्मण को भोजन के लिए बुलाएं तो खाने की चीजों में तिल से बने पकवान या मिठाइयों को शामिल करें। इसके बाद दक्षिणा के साथ तांबे के लोटे में तिल भरकर दान करें।
3. पितृ शांति के लिए अमावस्या पर घर में गीता पाठ करवा सकते हैं। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा के साथ वस्त्र दान करें।
अमावस्या के अधिपति देवता शनि
माघी अमावस्या इस बार इसलिए खास है, चूंकि अमावस्या के अधिपति देवता स्वयं शनि है। इस दिन दान-पुण्य का कई गुना फल मिलता है। अमावस्या के दिन शनि स्वराशि में अधिक बलवान रहेंगे। अमावस्या का दिन हो और शनि मकर राशि में हो तो वृद्ध और रोगियों की सेवा करना शुभ फलदायी रहेगा।
- शनि दोष निवारण के लिए इस दिन शनि देव को तिल का तेल चढ़ाने के बाद पूजा में तिल के ही तेल का दीपक लगाना चाहिए। लोहे के बर्तन में तिल भरकर दान करना चाहिए। अमावस्या पर जरूतमंद लोगों को खाना खिलाकर, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।