बच्चों के भविष्य के लिए बचत शुरू करने से पहले आपको यह तीन बातें पता होनी चाहिए. पहला, बच्चों को उम्र के किस पड़ाव पर कितनी राशि की जरूरत होगी. दूसरा, लक्ष्य को कितने समय में पाने की जरूरत है. तीसरा, इसके लिए कितना जोखिम उठा सकते हैं. आइए जानें गोल्ड ईटीएफ इसमें कैसे मदद करेगा.
जानिए गोल्ड ईटीएफ से जुड़ी 9 बड़ी बातें
(1) गोल्ड ETF का अर्थ होता है गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड. इसकी ट्रेडिंग सभी बड़े स्टॉक एक्सचेंजेज में होती है. इसकी खरीद करना ऐसे ही है, जैसे स्टॉक एक्सचेंज में शेयर्स की खरीद करना. यहां आप सोने की ऑनलाइन खरीद करते हैं और वहीं उसे बेच भी सकते हैं. इनकी सेल और परचेज भी डीमैट अकाउंट के जरिए ही की जाती है. गोल्ड ईटीएफ फंड बड़े पैमाने पर फिजिकल गोल्ड की खरीद करता है और उसे स्टोर करता है. यह ईटीएफ के पास होता है और इन्वेसटर्स को उनके निवेश के बदले शेयर ऑफर किए जाते हैं.
(2) इन्वेस्टर्स की ओर से खरीदे गए गोल्ड ईटीएफ शेयर डिमैट अकाउंट में रहते हैं. इसलिए कीमती धातु को सुरक्षित रखने की कोई चिंता नहीं रहती.जूलर्स से सोने की खरीद पर उसकी प्योरिटी पर हमेशा से शंका बनी रहती है, लेकिन इसके साथ ऐसा नहीं है. ईटीएफ की एक यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है. इसलिए इसमें बेहद छोटे स्तर पर भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है.अच्छी लिक्विडिटी के साथ इसे होलसेल प्राइस पर ही खरीदा और बेचा जाता है.
(3) FD पर अब मिल रहा है सिर्फ 7.9% मुनाफा-एक साल की अवधि के लिए अगर आप RBL बैंक में FD करते हैं तो 7.9 फीसदी की दर से आपके रकम 10 हजार रुपये से बढ़कर 10,814 रुपये हो जाएगी. इसी तरह आप लक्ष्मी विलास बैंक की एफडी में पैसा लगाते हैं तो ये रकम 7.75 फीसदी दर से मिले ब्याज के बाद बढ़कर 10,798 रुपये हो जाएगी. आपको बता दें कि इसके अलावा देश के अन्य बैंक अब 7 फीसदी की दर से ब्याज दे रहे हैं.
(4) Kotak World Gold Fund ने एक महीने में 32 फीसदी रिटर्न दिया है. इसके बाद DSP World Gold Fund ने एक साल के दौरान 38 फीसदी रिटर्न दिया है. गोल्ड फंड्स के लिए एक साल का औसत सीएजीआर रिटर्न 26 फीसदी है.
(5) चीन के जानलेवा करोना वायरस की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें लगताार बढ़ रही है. अगस्त में जहां सोने की कीमत 1,500 डॉलर प्रति औंस थी . वहीं, अब ये बढ़कर 1600 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गया है. साथ ही, घरेलू बाजार में सोने की कीमतें 42000 रुपये प्रति दस ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर है. आगे भी एक्सपर्ट्स भारत में सोने की कीमतें बढ़कर 45 हजार रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे है.
(6) केडिया कमोडिटी के हेड अजय केडिया ने NotSocommon हिंदी को बताया कि सिर्फ रिटर्न हासिल करने के लिए सोने में निवेश नहीं करना चाहिए. इसे सभी के पोर्टफोलियो में रिस्क डायवर्सिफायर (जोखिम को डायवर्सिफाई करने वाली स्कीम) के तौर पर होना चाहिए. गोल्ड ईटीएफ बहुत प्राइस एफिसिएंट हैं. गोल्ड ईटीएफ खुदरा स्तर पर होलसेल मार्केट प्राइस की एफिसिएंसी को लाता है. इसमें आपको सोने को फिजिकल तरीके से रखने की भी झंझट नहीं होती है. सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप इसे जब चाहे बाजार के मूल्य पर बेच सकते हैं.
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(7) ईटीएफ के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है. इससे कम मात्रा में या एसआईपी (सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है. वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है. ज्वैलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता.गोल्ड ईटीएफ की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है. यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है. वहीं फिजिकल गोल्ड की अलग-अलग विक्रेता/ज्वैलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं.
(8) गोल्ड ईटीएफ से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है. आप जो सोना लेंगी उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी.गोल्ड ईटीएफ खरीदने में 0.5% या इससे कम का ब्रोकरेज लगता और पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है. यह उस 8 से 30 फीसदी मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है जो ज्वैलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें.
(9) ईटीएफ सोना बेचने या खरीदने में ट्रेडर्स को सिर्फ ब्रोकरेज देना होता है. वहीं फिजिकल गोल्ड में लाभ का बड़ा हिस्सा मेकिंग चार्जेस में चला जाता है और यह सिर्फ ज्वैलर्स को ही बेचा जा सकता है, भले ही सोना बैंक से ही क्यों न लिया हो.इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट एकाउंट में होता है जिसमें सिर्फ वार्षिक डीमैट चार्ज देना होता है. साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता. वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा में भी खर्च करना होता है.
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