
रूस में प्रशांत महासागर की अवाचा खाड़ी में कल गई समुद्री जानवरों की मौत हो गई है (फोटो- सांकेतिक)
समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण टूटकर बिखर जाता है और फिर माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) में बदल जाता है. समुद्र का यह प्रदूषण ईको सिस्टम, वाइल्ड लाइफ और मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है…
- News18Hindi
- Last Updated:
October 11, 2020, 6:44 AM IST
दक्षिण ऑस्ट्रेलियाई तट पर तीन हजार मीटर नीचे रोबोटिक पनडुब्बी का इस्तेमाल करते हुए सैम्पल एकत्रित किये हैं. रिसर्च के मुख्य साइंटिस्ट डेनिस हार्डेस्टी ने कहा कि हमारी रिसर्च में पाया गया है कि समुद्र गहराई में माइक्रोप्लास्टिक से भरा हुआ है. इस तरह की रिमोट लोकेशन पर हमने ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक पाए हैं जो हैरान करने वाला है. मैरियन साइंस में फ्रंटियर्स जर्नल में पब्लिश रिसर्च के वैज्ञानिकों ने कहा कि अधिक फ्लोटिंग फ़ालतू क्षेत्रों में आम तौर पर समुद्र तल पर अधिक माइक्रोप्लास्टिक टुकड़े होते थे.
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स्टडी लीड करने वाले जस्टिन बैरेट ने कहा कि समुद में प्लास्टिक प्रदूषण टूटकर बिखर जाता है और फिर माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है. निष्कर्ष में देखा गया कि वास्तव में माइक्रोप्लास्टिक समुद्र में डूब रहा था.हार्डेस्टी ने कहा कि ईको सिस्टम, वाइल्ड लाइफ और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा बनते जा रहे समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान खोजने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है. सरकार, इंडस्ट्री और समुदाय को हमारे समुद्र तटों और हमारे महासागरों में देखे जाने वाले कूड़े की मात्रा को कम करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने इस प्रदूषण से सभी को खतरा बताया.
अपके शरीर में भी पहुंच सकता है यह कचरा
ये इलाके समुद्री जीवन को भी आकर्षित करते हैं. उनके लिए पोषण भूमि की तरह काम करते हैं जो माइक्रोप्लास्टिक अपने भोजन के साथ खा सकते हैं. इसका मतलब है कि अगर आप कोई समुद्री मछली खा रहे हैं तो हो सकता है उसमें वह कचरा मौजूद हो जो आपने फेंका था. एक बार पानी के जीव के अंदर यह कचरा पहुंच जाए तो यह बहुत आसान होता है कि यह फूड चेन में चला जाए और देर सबेर आपकी प्लेट में भी पहुंच जाए.